◆निर्धारित समय सीमा में जानकारी दी जा रही न ही कोई पत्राचार
◆राज्य सूचना आयोग में अपील के लिए मजबूर आरटीआई कार्यकर्ता
करैरा। विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम 2005 को ठेंगा दिखाया जा रहा है। यहां सूचना का अधिकार के तहत आवेदन लगाने बाले आवेदकोई अधिकारों का हनन किया जा रहा है। आवेदक को न तो समय सीमा में जानकारी दी जा रही है और न ही पत्राचार कर कोई सूचना उनजे दी जा रही है।
कार्यालय में सूचना का अधिकार के तहत आवेदन लगाने बाले नरेंद्र तिवारी ने लोकसूचना अधिकारी विकास खंड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में 3 मार्च 2025 को दो आरटीआई आवेदन दाखिल किए थे। पहले आवेदन में उन्होंने सत्र 2024-25 के लिए हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों को रोशनी के लिए आवंटित राशि और इसके व्यय के बिल-वाउचर की प्रतियां मांगी थीं। दूसरे आवेदन में उन्होंने 1 अप्रैल 2024 से 28 फरवरी 2025 तक है हाईस्कूलों,हायर सेकंड्री स्कूलो में भौतिक रखरखाव के लिए आवंटित राशि और इसके व्यय के दस्तावेजों की मांग की थी। आरटीआई अधिनियम की धारा 7 के तहत लोक सूचना अधिकारी को 30 दिनों के भीतर जानकारी देना अनिवार्य है, लेकिन आवेदक को एक माह से अधिक समय बीतने के बाद भी विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) कार्यालय ने कोई जवाब नही आया न ही जानकारी दी गई। तिवारी का दावा है कि बीईओ कार्यालय जानबूझकर जानकारी छिपा रहा है, ताकि वित्तीय अनियमितताएं और प्रशासनिक खामियां सामने न आए। आवेदक ने जानकारी न मिलने पर 16 अप्रैल 2025 को प्रथम अपीलीय अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को स्पीड पोस्ट (EI 363433519IN) के माध्यम से अपील भेजी, लेकिन वहां से भी कोई प्रतिक्रिया आज दिनांक तक नहीं मिली, तिवारी ने इसे उच्च अधिकारियों की मिलीभगत और लापरवाही का परिणाम बताया। अब वे राज्य सूचना आयोग में अपील करने को मजबूर हैं।
पर्दे के पीछे से सलाहकार कर रहे गुमराह
नरेंद्र तिवारी ने अपने आरोप लगाया कि विकास खंड शिक्षा अधिकारी की पदस्थापना को ज्यादा समय नही हुआ है। वह पर्दे के पीछे सलाहकारों से सलाह पर क्रय कर रही ही । सिरसौद हायर सेकेंडरी स्कूल के शिक्षक जगभान सिंह लोधी यहां दखलंदाजी करते है जो पहले बीईओ के प्रभार में यहां रह चुके है। लेकिन अब जब कि बीईओ की पदस्थापना यहां हो चुकी है उसके बाद भी वह बीईओ कार्यालय में बैठे देखे जा सकते है आखिर ऐस क्यो? वे नई बीईओ सुश्री स्वीटी मंगल को गुमराह कर रहे हैं और उनके आरटीआई आवेदनों को जानबूझकर अनसुना करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। तिवारी ने कहा कि लोधी के इशारे पर ही उनके आवेदनों का जवाब रोका गया, ताकि स्कूलों को आवंटित राशि और व्यय की जानकारी सामने न आए।