शिक्षक दिवस स्पेशल: एक शिक्षक की लगन और प्रयासों से विद्यालय और विद्यार्थियों का बना भविष्य

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◆एकल शिक्षकीय शाला होने के बाद भी आदर्श बन गया यह विद्यालय

करैरा। हम सभी के लिए शिक्षा का विशेष महत्व है और एक अच्छे विद्यार्थी के लिए अच्छे शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान है। एक शिक्षक के अथक प्रयासों ने विद्यालय और विद्यार्थियों का भविष्य बना है।


ये हैं विकासखण्ड करैरा के शा.प्राथमिक विद्यालय जेरवा के प्राथमिक शिक्षक अनिल कुमार गुप्ता, जिन्हें जिले के शिक्षकों के लिए एक आदर्श उदाहरण माना जा सकता है। इनके अथक प्रयासों से आज जेरवा के विद्यालय और

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विद्यार्थियों दोनों का भविष्य बना है। विद्यालय के लिए पहाड़ी पर स्वीकृत हुई भूमि को अपनी सूझबूझ से विद्यार्थियों के अध्यापन के अनूकुल बनाया और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की।


अनिल कुमार गुप्ता वर्ष 1999 में प्राथमिक शिक्षक के रूप में शा.प्राथमिक विद्यालय जेरवा पर पदस्थ हुये थे उस समय यह विद्यालय गांव में एक पेड के नीचे एक चबूतरे पर संचालित किया जाता था। इनके द्वारा किये गए प्रयासों से

विद्यालय भवन स्वीकृत हुआ। लेकिन भवन निर्माण हेतु भूमि एक पहाडी पर स्वीकृत हुई जिसका इलाका पूरा पथरीला था और पेड-पौधो की कल्पना तो दूर-दूर तक कोई नहीं कर सकता था। पत्थरों के बीच पहुँच मार्ग भी ठीक नही था ऐसे में इस दुर्गम क्षेत्र में बने हुये विद्यालय का कायाकल्प हो गया है।


सहायक शिक्षक अनिल गुप्ता के प्रयासों से पहाडी पर थ्री लेयर कटिंग को क्रियान्वित किया गया। जिनमें सबसे ऊपरी लेयर पर पेड पौधे एवं दूसरी लेयर पर गार्डन एवं तीसरी लेयर पर बच्चो के खेल कूद के लिए खेल मैदान का निर्माण किया गया। जिसके चारों ओर आज सघन वृक्षारोपण है और इस विद्यालय में 300 से अधिक विभिन्न किस्मों के पौधे हैं।


एक शिक्षकीय शाला होने के बावजूद भी बच्चों का शैक्षणिक स्तर गुणवत्ता पूर्ण है एवं नई शिक्षा नीति के अनुरूप प्रिंटरिच वातावरण में अध्यापन कार्य कराया जाता है एवं विद्यालय में सभी छात्र स्पेशल ड्रेस में आते है। शासन की नल जल योजना का बेहतर क्रियान्वयन विद्यालय में देखने को मिलता है। उनके द्वारा विद्यालय को मिलने

वाली राशि के अतिरिक्त अपने स्वय की राशि खर्च कर विद्यालय का वातावरण का आकर्षिक बनाया गया है। अनिल गुप्ता विद्यालय के लिए एक समर्पित शिक्षक हैं जो छात्र-छात्राओं के घर-घर जाकर विद्यालय आने को प्रेरित करते है। इस प्रयास से विद्यालय में छात्र उपस्थिति अधिक रहती है। सहायक शिक्षक अनिल गुप्ता समकालीन अवकाश में भी विद्यालय जाकर विद्यालय परिसर में लगे पैड पौधो की देखभाल करते हैं। एक शिक्षक के रूप में यह उनकी विशेष रूचि है कि शिक्षा के साथ-साथ स्कूल के अच्छे वातावरण पर भी उन्होंने ध्यान दिया।

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