सेवा निवृत्त शिक्षक रामनरेश मिश्रा का सम्मान
करैरा।स्थानीय रामराजा मैरिज गार्डन में एम्स दिल्ली में पदस्थ डा. आशुतोष मिश्रा ने अपने पिता के सेवा निवृत्त होने पर उनके सम्मान में एक भव्य सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसमें विशेष रूप से बगीचा धाम के प्रसिद्ध और विद्वान संत स्वामी रुद्र चेतन्यपुरी उपस्थित रहे ।

इस अवसर पर करैरा के साहित्यकारों के साथ शिक्षा जगत की तमाम हस्तियों के साथ उनके परिवार के सदस्य और इष्ट मित्र उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम के आरंभ में स्वामी रुद्र चेतन्यपुरी जी ने मां सरस्वती का पूजन कर दीप प्रज्ज्वलित किया साथ ही मां सरस्वती की वंदना साहित्यकार घनश्याम दास योगी ने प्रस्तुत की ।

अपने उद्बोधन में साहित्यकार प्रभुदयाल शर्मा ने कहा कि श्री रामनरेश मिश्रा एक अच्छे शिक्षक के रूप में सदैव जेहन में रहेंगे सचमुच शिक्षक की जिम्मेदारी होती है राष्ट्र चरित्र का निर्माण करने हेतु बच्चों में अच्छे गुणों और शिक्षा को बढ़ावा देना। स्कूल से ही देश का भविष्य निकलता है।

इसलिए जरूरी है कि प्राथमिक स्कूल का शिक्षक खुद चरित्रवान हो ताकि उसे देखकर बच्चे उसे आदर्श मानने लगे। विद्यार्थियों के ऊपर उसकी एक अमिट छाप पड़नी चाहिए। स्कूल में बच्चे सिर्फ पढ़ाई के लिए नहीं भेजे जाते हैं बल्कि इसलिए भी भेजे जाते हैं कि उनका व्यक्तित्व निर्माण हो सके वे भोंदू या संकोची बनकर ही नहीं रह जाएं। इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है मिश्रा जी ने ।

श्री मनोज त्रिपाठी शिक्षक ने अपने विचार रखते हुए कहा कि शिक्षक के द्वारा व्यक्ति के भविष्य को बनाया जाता है एवं शिक्षक ही वह सुधार लाने वाला व्यक्ति होता है। प्राचीन भारतीय मान्यताओं के अनुसार शिक्षक का स्थान भगवान से भी ऊँचा माना जाता है क्योंकि शिक्षक ही हमें सही या

गलत के मार्ग का चयन करना सिखाता है।इस बात को कुछ ऐसे प्रदर्शित किया गया है-गुरु:ब्रह्मा गुरुर् विष्णु: गुरु: देवो महेश्वर: गुरु:साक्षात् परम् ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:। कबीर कहते हैं गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पांय बलिहारि गुरु आपनो गोविंद दियो बताय।शिक्षक आम तौर से समाज को बुराई से बचाता है और लोगों को एक सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति बनाने का प्रयास करता है। इसलिए हम यह कह सकते है कि शिक्षक अपने शिष्य का सच्चा पथ प्रदर्शक है।
स्वामी रुद्र चेतन्यपुरी जी ने जीवन के महत्व को बताया और कहा कि पं. रामनरेश मिश्रा एक अच्छे शिक्षक तो रहे ही हैं साथ ही समाज में योग के प्रति जागरूक करने में बहुत बड़ी भूमिका का निर्वाह भी किया है।
गुरसरांय के प्रसिद्ध मानस प्रवक्ता पं. सुरेन्द्र तिवारी ने उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कि हम यह कह सकते है कि शिक्षक अपने शिष्य का सच्चा पथ प्रदर्शक है। शिक्षक ने समाज को हमेशा ही सुधार कर एक नई दिशा दी है। शिक्षक ही हमारे अंदर समाज कल्याण की भावना जागृत करते है। एक साधारण मनुष्य को एक महान योद्धा बनाने से लेकर एक साधारण व्यक्ति को ज्ञानवान, आदर्श बनाने में शिक्षक का ही अहम योगदान है।
इस अवसर पर मनोज श्रीवास्तव शिक्षक, डॉ ओमप्रकाश दुबे साहित्यकार, रमेश वाजपेयी साहित्यकार, श्रीमती पूजा शर्मा उत्कृष्ट कन्या विद्यालय की प्राचार्य,
वीईओ जगभान सिंह लोधी, सतीश श्रीवास्तव साहित्यकार, युगल किशोर शर्मा पत्रकार,डॉ प्रियंका मिश्रा, सौरभ त्रिपाठी एवं रामनरेश मिश्रा ने अपने विचार व्यक्त किये ।
कार्यक्रम का सफल संचालन साहित्यकार सतीश श्रीवास्तव ने किया और डा. आशुतोष मिश्रा ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया ।