लघु कथा
अंग्रेजी पाठशाला
स्कूल के बाहर मंच सजा हुआ था। अंग्रेजी माध्यम में संचालित एक नवीन सरकारी स्कूल का उदघाटन जो होना था। मंच पर मंत्री महोदय व अन्य गणमान्य नागरिकों के अलावा स्कूल के
प्राचार्य भी विराजमान थे। ऐसा कोई वक्ता नहीं था जो इस अंग्रेजी माध्यम के स्कूल की तारीफ में कसीदे न पढ़ रहा हो। अंत में अपने उद्बोधन में स्कूल के प्राचार्य जी ने भी अपने स्कूल की खूबियां गिनाते हुए सभी लोगों से अपने बच्चों को अधिक
से अधिक संख्या में दाखिला कराने की बात की। साथ ही शहर में संचालित अन्य दूसरे सभी अंग्रेजी माध्यम में संचालित अशासकीय स्कूलों की
कमियां और उनके द्वारा किए जाने वाले लूट खसोट के बारे में भी कहते नही चूके।नए स्कूल को देखकर आमजन भी प्रफुल्लित थे , कि चलो अब सस्ता और अच्छा अंग्रेजी माध्यम का स्कूल खुलने जा रहा है। दूसरे दिन जब कुछ पालक
अपने बच्चों का दाखिला कराने नए सरकारी स्कूल पहुंचे, वहां प्राचार्य को नदारद पाए जाने पर पूछा तो पता चला कि प्राचार्य जी अपने दोनो बेटों का एडमिशन कराने शहर के एक नामचीन
प्राइवेट स्कूल में गए हैं। उत्तर सुनकर अपने बच्चों का दाखिला कराने आए पालक केवल एक दूसरे का चेहरा ही देखते रह गए। अब उनके पास वापिस लौटने के अलावा और कोई चारा न था।
एक प्रयास
डाo बृजेश कुमार अग्रवाल
वार्ड no.7, डेनिडा रोड करैरा