कथा :प्यार

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“कथा”
प्यार

“तुम आज फिर आ गए पी के” ….नीरा ने शराब के नशे में धुत्त हसन से चिल्लाते हुए कहा।

हसन ने कोई जबाव नही दिया और चुपचाप बिस्तर पर लेट गया। बहुत देर तक बड़बड़ाती रही नीरा, आखिर थक कर चुप हो गयी और बेमन से जैसे तैसे खाना खत्म कर अपने काम मे लग गयी।

हसन गांव में प्राइवेट प्रैक्टिस करता था। मात्र दसवीं पास हसन को कुछ दवाओं और इंजेक्शन का ज्ञान हो गया था, जिसके बल पर वो गांव के लोगों का इलाज कर दिया करता था। और गांव का एकमात्र डॉक्टर कहलाता था। नीरा भी उसी गांव की पढ़ी लिखी लड़की थी । बस एक बार नीरा अपनी माँ का इलाज कराने आई थी हसन के पास। दौराने इलाज हसन को गुटका खाते देख नीरा से रहा नहीं गया और सकुचाते हुए हसन से पूछ ही लिया …”क्यों खाते हो आप इतना गुटका … देखो कितने खराब हो चुके हैं दांत आपके”। ….हसन ने गुटके की पीक थूक कर मुस्कुराते हुए कहा ……” इतनी ही चिंता है तो तुम्ही छुड़वा दो न”। ……बात छोटी थी पर दिल को छूने वाली थी, दाँतों से होते हुए दिल तक पहुंच चुकी थी, दोनों ही एक दूसरे को कब अपना दिल दे बैठे, पता ही नहीं चला।

सभी सामाजिक बन्धनों को तोड़कर दोनों ने भाग कर शादी कर ली और समाज के डर से कभी गांव न जाने की कसम ले ली।

हसन चूंकि कम्पाउंडरी जनता था तो शहर के एक डॉक्टर की क्लिनिक पर नौकरी कर ली। नीरा ने भी एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका की नौकरी ज्वाइन कर ली। जिंदगी ठीक ठाक चल रही थी हालांकि नीरा गुटका खाने की आदत में तो सुधार नही कर पाई पर धीरे धीरे वो इसकी आदी हो गयी। …समय उत्तरोत्तर आगे बढ़ता गया, उनको एक बेटी भी हो गयी। बेटी बड़ी होने पर नीरा ने अपने ही स्कूल में बिटिया का दाखिला करा लिया। अपनी सेलरी में से ही वो बेटी की फीस जमा करती रही।

हसन अब देर से घर आने लगा था। बिना खाना खाये बिना किसी से बात किये चुपचाप सो जाता था। …. नीरा ने आखिरकार हसन से एक दिन पूछ ही लिया …… “देख रही हूं ….तुम आजकल रात को रोज लेट आने लगे हो ….और एक अजीब सी महक भी तुम्हारे बदन से आने लगी है….. कुछ बताओ तो सही क्या चल रहा है ये सब”…..।

“नहीं.. नहीं कुछ नहीं ….वो क्या है न … सीजन चल रहा है न आजकल, तो मरीज भी बढ़ गए हैं तो देर हो ही जाती है। अब मरीजों को भगा थोड़े ही देंगे औऱ ये महक तो हो सकता है दवाओं की हो”। …..सकपका कर कन्नी काटते हुए आज फिर चुपचाप जाकर हसन सो गया। ..नीरा को अपने प्यार पर पूरा भरोसा था इसलिए उसने हसन को बात को सच मान लिया।……

पर रोज रोज खाना न खाना और लाल आंखे लिए लड़खड़ाते हुए , घर लेट आना,…. आखिरकार नीरा ने हसन से गुस्से में पूछ ही लिया…..तुम क्या शराब पीने लगे हो”। ……
” हाँ तो तुझे क्या परेशानी है इससे….. तू बढ़िया खा पी अपना और अपने काम से काम रख”। ………हसन ने भी लड़खड़ाती आवाज में नीरा से चिल्लाते हुए जबाव दिया।

आखिरकार नीरा ने सुबह होते ही क्लिनिक पर सम्पर्क किया तो पता चला कि क्लीनिक तो रोज अपने नियत समय पर ही बंद होता है, पर उसके बाद हसन कहाँ चला जाता है, पता नहीं।

नीरा दुखी मन से सोच रही थी कि एक पुड़िया की आदत तो छुड़ा न पाई और ये दूसरी आदत और मेरे आदमी ने पाल ली।

रोज कलह होने लगी। नीरा ने एकदिन जी पक्का करके अपनी सास को फोन किया तो सास ने सीधा सपाट उत्तर दे दिया ….. “तेरा मरद… तू जान …..हमसे पूछ के किया था क्या ब्याह”। तब क्या तेरी फूट गईं थी, … तू जान तेरा काम जान और तेरा मरद जान।….तेरे ससुर ने रहम खा के तुझे मकान खरीदवा दिया …ये ही भोत है …और सुन हमें मति करियो अब फोन”।…….

अवाक रह गयी सुनकर नीरा।.. अब बोले तो क्या बोले किससे बोले। अपने मायके अब लौट नहीं सकती।

बात जगजाहिर हो चुकी थी। नीरा ने कई बार हसन को प्यार से समझाया, अपने प्यार और बच्ची का वास्ता व कसमें दी, पर कोई नतीजा न निकला। कुछ दिन हसन पीना कम कर देता पर फिर शुरू हो जाता था। …अब तो पैसों के लिए भी किच किच होने लगी, हसन की नजर अब नीरा की सैलरी पर होने लगी, हसन कई प्रकार के पैंतरेबाजी कर नीरा से पैसे लेने लगा। अब काफी परेशान रहने लगी थी नीरा, उसकी परेशानी जब स्कूल के प्राचार्य को पता लगी तो उन्होंने भी नीरा को यही सलाह दी कि वो हसन को प्यार से समझाए।

बच्ची बड़ी होती जा रही थी, उसकी पढ़ाई के साथ साथ अन्य खर्चे भी बढ़ते जा रहे थे।
नीरा ने प्राचार्य जी से अपनी सेलरी बढ़ाने को कहा तो , प्राचार्य जी ने भी साफ शब्दों में कह दिया …. “देखो नीरा सेलरी अपने हिसाब से व अपने समय से ही बढ़ेगी।…..ये तुम्हारे घर का मैटर है…. इससे स्कूल का क्या लेना देना। और मेरी भी एक सीमा है,…. और याद रखो ……घर की प्रॉब्लम घर पर ही सॉल्व करो,….आइंदा घर की बातें स्कूल में नहीं होना चाहिए”।

रुआंसी नीरा घर आकर सोचने लगी,…आज तो हो के ही रहेगा फैसला। ….घर आते ही हसन से नीरा ने कहा……”आज तो प्राचार्य जी भी कह रहे थे कि”……. बात पूरी होने से पहले ही हसन चिल्लाकर बोला …….”बोल देना अपने प्राचार्य से ….अपने पैसों की पीता हूँ….. उसके बाप की नहीं”।…….नीरा को रोता छोड़ , हसन रोज की तरह सोने चला गया।

गुटका और शराब की लत, समय पर खाना न खाने की वजह से हसन की सेहत पर असर होने लगा। एक दिन तो हद ही हो गयी जब हसन के दो दोस्त दिन में ही हसन को टांग के लाये और घर पर छोड़ कर चले गए। दिन व दिन हसन की हालत बदतर होती जा रही थी, अब हसन बिस्तर पकड़ चुका था। नीरा हसन को उसी क्लिनिक पर ले गई जहां हसन काम करता था। कई जांचों के बाद पता चला कि हसन का लिवर जबाव दे चुका है, उसे लिवर सिरोसिस नाम की गम्भीर बीमारी हो चुकी थी। डॉक्टर ने नीरा को समझाते हुए कहा कि “देखो बीमारी ठीक होने में काफी पैसा और समय लगेगा और समय से इलाज चालू नहीं हुआ तो हालात और भी गंभीर हो सकते हैं,…..तुम पैसों का इंतज़ाम करो, बाकि मैं देखता हूँ”।

लगातार पेटदर्द, उल्टियां और कमजोरी के कारण हसन चल फिर भी नहीं पाता था।

“आप इलाज शुरू कीजिए डॉक् साहब,…..करती हूं मैं पैसों का इंतज़ाम……बस कैसे भी बचा लीजिए इन्हें”…….नीरा ने हाथ जोड़कर डॉक्टर से कहा।

“मकान बिकाऊ है” का इश्तेहार लगा दिया था नीरा ने अपने घर के बाहर।….उसे पूरा भरोसा था कि उसका सच्चा प्यार जरूर जीतेगा।

एक प्रयास

-डॉ0 बृजेश कुमार अग्रवाल
वार्ड नं0 7, डेनिडा रोड
करेरा।

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