झांसी कला महोत्सव में कवि सम्मेलन सम्पन्न.
झांसी, भारतीय कलाकार संघ के तत्वावधान में त्रिदिवसीय कला महोत्सव में संपूर्ण भारतवर्ष के कलाकारों ने अपनी उत्कृष्ट कला के प्रदर्शन हेतु शानदार आर्ट गैलरी लक्ष्मी गार्डन इलाइट झांसी में भव्यता पूर्वक सजाई जिसमें उनके द्वारा तैयार की गई शानदार पेंटिंग को देखने झांसी सहित बुंदेलखंड क्षेत्र के हजारों दर्शकों ने भूरि भूरि प्रशंसा की।
आयोजन के द्वितीय दिवस में एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता करैरा के प्रसिद्ध गीतकार घनश्याम दास योगी द्वारा की गई, कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बुंदेली कवि शिवदयाल यादव भगत जी दवरा दिनारा उपस्थित रहे तो वही करैरा, दतिया, निवाडी़,ग्वालियर, सहित देश के तमाम शहरों से पधारे साहित्यकारों ने अपनी कविताओं से खचाखच भरे पंडाल में श्रोताओं की तालियां बटोरी।
कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर माँ सरस्वती का पूजन किया तत्पश्चात सभी साहित्यकारों का स्वागत कलाकार संघ के पदाधिकारी अंकुर पेंटर, पवन पेंटर, कौशल आर्ट, पर
प्रदीप पेंटर ने किया.
माँ सरस्वती की वंदना गीतकार घनश्याम दास योगी द्वारा की गई.
“वीणा पुस्तक धारणी हंस वाहिनी मात,
हम कवियों के काव्य में छंद वद्ध मुस्कात.”
बलराम सोनी, हरेन्द्र पुष्कर के पश्चात दतिया से पधारे दिलशेर दिल की गजलों को खूब सराहा गया.
विकास नामदेव निबाडी़ ने श्रोताओं को जमकर हंसाया.
प्रेम प्रजापति के गीत श्रोताओं ने खूब सुने साथ ही अक्षय दुबे की कविताओं ने श्रोताओं को गुदगुदाने में सफलता हासिल की.
आमोद नायक की कविताओं के बाद जब्बार खान ने अपनी गजलों से कवि सम्मेलन को एक नया मोड़ दिया.
करैरा से पधारे सौरभ तिवारी ने जब अपनी मधुर आवाज में अपनी कविताओं को प्रस्तुत किया तो संपूर्ण पंडाल तालियों की गडगडाहट से गूंज उठा.
“कोई पर्ची भी ,मेरे नाम की नहीं निकली
दिले सकून के ,पैगाम की नहीं निकली
भरी पड़ी है हथेली ,मेरी लकीरों से
कोई लकीर मेरे काम की ,नहीं निकली.”
शिवम यादव की कविताओं को सुनकर श्रोताओं ने खूब प्रशंसा की तत्पश्चात प्रशिद्ध साहित्यकार प्रमोद गुप्ता भारती ने रचना पाठ किया.
आए हैं तो काटेंगे
इक शाम तुम्हारी बस्ती में ,
दे जाएंगे चाहत का
पैगाम तुम्हारी बस्ती में I
अब परवाह नहीं है
खुलता हो खुल जाए राज ,
मैंने तो कर डाला अपना
प्यार भरा आग़ाज ,
जो होना हो , हो जाए
अंजाम तुम्हारी बस्ती में ,
आए हैं तो काटेंगे
इक शाम तुम्हारी बस्ती में I
तत्पश्चात शिवदयाल यादव भगत जी ने अपनी बुंदेली कविताओं से खूब गुदगुदाया.
साहित्यकार सतीश श्रीवास्तव ने श्रोताओं को अपनी व्यंग्य रचनाओं से खूब तालियां बटोरी.
“क्या क्या नहीं हुआ फाइलों के अंदर,
खुद गया कुआ फाइलों के अंदर.
ढूंढते रहे फूफा जी सड़कों पर जिनको,
खो गई हैं बुआ फाइलों के अंदर.”
घनश्याम योगी जी की प्रसिद्ध कविता
“सुन जा सुन जा अरे कलेक्टर
बिनती सुन जा रे…
खूब सराही गई.
कवि सम्मेलन के पश्चात समस्त साहित्यकारों का सम्मान सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह् देकर किया..
मंच का सफलतापूर्वक संचालन शिवम यादव ने किया तथा आभार प्रदर्शन अंकुर पेंटर ने किया.