प्रेमचन्द्र के लेखन से आन्दोलन उपजते हैं : राजकिशोर वाजपेयी

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ग्वालियर।संस्कार भारती, मध्य प्रदेश भारत प्रान्त साहित्य विधा के रचनात्मक प्रयास “सृजन” की लेखन प्रशिक्षण की ऑनलाइन कार्यशाला की साप्ताहिक गोष्ठी के 57वे अंक में “स्वाधीनता आन्दोलन में प्रेमचन्द्र जी के साहित्य का योगदान” जैसे महत्वपूर्ण विषय पर परिचर्चा की गई।
चर्चा के प्रारंभ में विषय प्रवर्तन करते हुए कार्यक्रम संयोजक डॉ.श्रद्धा सक्सेना
ने कहा कि- “हमारे समाज में जो परिवर्तन आए, उसका सपना प्रेमचन्द ने पहले ही देख लिया था। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का प्रयास जो उन्होंने किया, वह पूर्ण होता दिखता है। वो अन्याय के विरुद्ध लड़ने की शक्ति जागृत करते रहे। शोषक व सर्वहारा वर्ग की बात जब होती है, तब प्रेमचंद्र का नाम याद आता है। राजनीतिक स्वतंत्रता ही नहीं वरन सामाजिक व धार्मिक स्वतंत्रता का प्रयास उन्होंने अपने लेखन से किया। अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये धनिया और खाला जैसे पात्रों को सृजित किया, नारी सशक्तिकरण की शुरुआत प्रेमचंद ने की। तत्कालीन भारत के असली गाँव आदि देखना हो तो प्रेमचंद का साहित्य पढ़ना चाहिए। उनका साहित्य सिखाता है कि अभावों में भी कैसे प्रसन्न रह सकते हैं। आज का भारत प्रेमचंद के सपनों का भारत है।”
हिन्दी साहित्य सभा के पूर्व अध्यक्ष राजकिशोर वाजपेयी ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि- “प्रेमचंद्र प्रारम्भ में फारसी परिवेश से रहे। राष्ट्रीय क्रांति का पोषण करने वाली कहानियों का संग्रह “सोजे वतन” को जब अंग्रेज अधिकारी द्वारा जला दिया गया, तब उन्होंने अपना नाम धनपतराय के स्थान पर प्रेमचंद्र कर हिन्दी में लेखन शुरू किया। उनका साहित्य काल-बोध व दिशा-बोध कराने वाला संवेदना से युग के युक्त रहा। वे लेखक रहे, सुधारक नहीं। उनके लेखन से आंदोलन उपजते रहे हैं। गांधीजी के असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी। राष्ट्र के प्रति समर्पित होकर कार्य उन्होंने किया। उन्होंने अपने लेखन से जो मुद्दे उठाए, वो भारत को आजाद कराने में कारगर सिद्ध हुए हैं।”
कार्यक्रम का संचालन करते हुए मीनाक्षी दौनेरिया ने कहा कि- “प्रेमचंद के साहित्य से परेशानियों से जूझने का मनोबल मिलता है।”
ब्रजेन्द्र गुर्जर ने कार्यक्रम के अन्त में कार्यक्रम में उपस्थित संस्कार भारती के पदाधिकारियों, गुरुजनों, साहित्यकारों, शोधकर्ताओं, भाषा प्रेमी, राष्ट्र प्रेमी व संस्कृति प्रेमी तथा विद्यार्थियों का आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर संस्कार भारती के प्रमुख अतुल अधौलिया, जय सिंह, प्रदीप दीक्षित, डॉ.मंजुलता आर्य, डॉ.ज्योत्सना सिंह, जिज्ञासा पाण्डेय, साधना अग्रवाल, डॉ.सुखदेव माखीजा, शिवम यादव, अशोक आनन्द, दीपिका, गीता गुप्ता, मीनू नागर, सुधा गुप्ता, उदय सिंह रावत तथा फूल सिंह व संस्कार भारती के पदाधिकारीगण, शिक्षकगण, विद्यार्थी, शोधार्थी एवं अनेक साहित्यानुरागी, संस्कृति प्रेमी व राष्ट्रप्रेमी उपस्थित रहे।

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