कविता: हर घर तिरंगा

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हर घर तिरंगा
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अमर निशानी आज़ादी की
अपने द्वार , सजाएं ।
अपने घर मे,हँसी खुशी से
अमृत- पर्व , मनाएं ।
तिरंगा हर घर मे, फहराएं
तिरंगा हर घर में , फहराएं……

थोड़े से बदलाव किए हैं
झण्डे के , फहराने में ।
रात दिवस का तोड़ा बंधन
अमृत दिवस , मनाने में ।
किसी काल और किसी प्रहर में
जन-गण-मन , शुभ गाएं ।।
तिरंगा हर घर में , फहराएं ….2

खादी कपड़ा या पोलिस्टर
या मशीन से बने हुए ।
गली सजीं हों,तीन रंग से
और तिरंगे तने , हुए ।
एकसूत्र में , बंधा है भारत
दुनियाँ को , दिखलाएं ।।
तिरंगा हर घर में ,फहराएं….2

हम खुद ही,मिल अतिथि होंगे
अब झंडा , फहराने को ।
चुन्नू मुन्नू , फूल चुनेंगे
झण्डे तले , सजाने को ।
दादू से , सब विनय करेंगे
गीत देश के , गाएं ।।
तिरंगा हर घर में ,फहराएं…..2

राष्ट्र यज्ञ में ,आहूति दे
फांसी पर जो झूल गए ।
एक लक्ष्य बस ,आजादी
और सारे सपने, भूल गए ।
याद करें हर घर में ,उनको
वन्दे- मातरम , गाएँ ।।
तिरंगा हर घर में , फहराएं…2

शासन और प्रशासन का यह
जन – जन को , संदेश है ।
घर घर फहरे ,झण्डा प्यारा
अवसर बड़ा , विशेष है ।
आजादी के ,अमिट चिन्ह को
अपने हृदय , बसाएं ।।
तिरंगा हर घर में ,फहराएं……2

खुले गगन में,लहराएगा
जब अमर तिरंगा प्यारा ।
तीन रंग में,रंगा दिखेगा
सारा राष्ट्र , हमारा ।
हर घर तिरंगा,अभीयान को
जन जन तक , पहुचाएं ।।
तिरंगा हर घर में, फहराएं ।।
तिरंगा हर घर में ,फहराएं …..2

. सौरभ सरस✍️
. 30-7-2022

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