कविता : आजादी का पर्व

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कविता : आजादी का पर्व


आजादी का पर्व शान से मिलकर सभी मनाऐंगे,
अपने घर घर अमर तिरंगा गर्वित हो फहराएंगे।

कठिन दौर से गुजरी होगी सचमुच यही लड़ाई,
देखो तो इतिहास कि कैसे यह आजादी पाई।
त्याग तपस्या कुर्बानी के गीत गाएं दोहराएंगे,
अपने घर घर अमर तिरंगा गर्वित हो फहराएंगे।

आजादी के दीवानों ने अपनी जान गंवाई थी,
अपनी कुर्बानी देकर आजादी दिलवाई थी।
उनकी याद में आओ हम सब मिलकर दीप जलाएंगे,
अपने घर घर अमर तिरंगा गर्वित हो फहराएंगे।

याद करो मंगल पाण्डे को और रानी लक्ष्मीबाई ,
नेतासुभाष आजाद भगतसिंह और झलकारीबाई ।
वीर प्रसूता इस धरती को हरदम शीश झुकाएंगे,
अपने घर घर अमर तिरंगा गर्वित हो फहराएंगे।

भुला नहीं पायेगा भारत जलियांवाला बाग,
बर्बरता की इस घटना ने भड़काई थी आग।
तभी शपथ ली थी मिलकर हम आजादी पायेंगे,
अपने घर घर अमर तिरंगा गर्वित हो फहराएंगे।

ऐसी हवा चली थी देश का बच्चा बच्चा बोला,
चारों ओर से गूंजा नारा मेरा रंग दे बसंती चोला।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा सबको मंत्र बताएंगे,
अपने घर घर अमर तिरंगा गर्वित हो फहराएंगे।

भारत छोड़ो आंदोलन की बापू ने अलख जगाई,
समझे थे अंग्रेज भागने की अब नौबत आई।
कोई भी हों दुश्मन सारे अपने मुंह की खायेंगे,
अपने घर घर अमर तिरंगा गर्वित हो फहराएंगे।

रियासतों में मेल कराया रहा न कोई मैल,
हिंदुस्तान याद रखेगा वल्लभभाई पटैल।
एक रहेंगे सदा एकता आपस में अपनाएंगे,
अपने घर घर अमर तिरंगा गर्वित हो फहराएंगे।

झंडा ऊँचा रहे हमारा गली गली में गाएं हम,
घर घर पहुंचे अमर तिरंगा यह संकल्प उठाएं हम।
अमृत महोत्सव में गौरव की गौरवगाथा गाएंगे,
अपने घर घर अमर तिरंगा गर्वित हो फहराएंगे।
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कृपया संकल्प लें कि हम अपने अपने घर पर, कार्यालयों पर प्रतिष्ठानों पर शान से फहराएंगे तिरंगा….
– सतीश श्रीवास्तव
मुंशी प्रेमचंद कालोनी करैरा

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