“प्रफुल्ल कुमार चतुर्वेदी पहाड़ी की पुण्यतिथि पर काव्यांजलि सम्पन्न

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पहाड़ी स्मृति ग्रंथ शीघ्र ही प्रकाशित कराने का लिया संकल्प


करैरा। करैरा से प्रसिद्ध साहित्यकार स्व. प्रफुल्ल कुमार चतुर्वेदी पहाड़ी की चतुर्थ पुण्यतिथि पर उनके निवास पर गोष्ठी का आयोजन किया गया ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बुंदेली के प्रसिद्ध कवि शिवदयाल यादव भगत जी उपस्थित रहे कार्यक्रम की अध्यक्षता बृजेश चतुर्वेदी भोपाल के द्वारा की गई।


कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में करैरा के समाजसेवी सुरेश बंधु, जन-पहल न्यूज़ चैनल के संस्थापक नरेंद्र तिवारी और शाकुंतलम स्कूल के संचालक बृजेश अग्रवाल उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का प्रारंभ सरस्वती पूजन एवं मार्गदर्शक कवि स्व.श्री प्रफुल्ल कुमार चतुर्वेदी पहाड़ीजी के चित्र पर पुष्पहार अर्पित कर किया गया। तत्पश्चात उपस्थित साहित्यकारों ,परिजनों एवम श्रोता बन्धुओं ने स्व. श्री पहाड़ी जी को याद करते हुए विचार व्यक्त किये ।


कवि-द्वय श्री प्रभुदयाल शर्माजी एवम डॉ. राजेन्द्र गुप्ता द्वारा लयबद्ध गायन के साथ युगल स्वर में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई…
“जयति जय माँ शारदे
कल्याण जग का कीजिये”
सुरीले कंठ से गाई इस वन्दना ने कवि गोष्ठी को प्रारंभ में ही ऊंचाइयां प्रदान कर दीं।


कार्यक्रम का संचालन नव-प्रयोग के साथ प्रमोद गुप्ता भारती द्वारा किया गया। जिसमें रचना पाठ का आमंत्रण कविता पंक्तियों में किया गया।
सर्वप्रथम स्व. प्रफुल्ल कुमार चतुर्वेदी पहाड़ी जी की बड़ी बेटी अरुणा चतुर्वेदी ने अपने पिता को याद करते हुए उनकी कविताओं का पाठ किया..
क्यों पड़े हुए असमंजस में
क्यों तुम्हें न कुछ भी भाता है,
मेरे भारत के वीर उठो
देखो कश्मीर बुलाता है।


कवि श्री रमेश चंद वाजपेयी द्वारा बेहतरीन रचना प्रस्तुत की गई.
” जिनके पालन पोषण में
न रात देखी न दिन देखा
अपने सुखों की आहुति दे
माँ बाप की अनदेखी करते हैं
शर्म उन्हें आना चाहिए ।”


कवि श्री प्रभु दयाल शर्मा जी राष्ट्रवादी ने अपने काव्यपाठ में नारी हिंदुस्तान की प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया……..
“अब आई घूंघट से बाहर
करे बात निर्माण की
नारी हिंदुस्तान की ।”


ततपश्चात होम्योपैथी चिकित्सक और कवि श्री राजेन्द्र गुप्ता ने मनमोहक अंदाज़ में कविता प्रस्तुत कर माहौल को रसमय कर दिया:-
” हम जिये ऐसे जिये मरते गए मरते गए,
तेरी चाहत ही तो हर बार जिला जाती है
आज भी तूं मेरे ख्वाबों में चली आती है।”


कवि सौरभ तिवारी सरस ने अपने मधुर स्वर में शानदार गीत प्रस्तुत किया
नाम परिचय दर बताना चाहती है,
एक राधा गीत गाना चाहती है”।।


साहित्यकार श्री प्रमोद गुप्ता”भारती” की शानदार रचना प्रस्तुत की :-
सबके कड़वे और मीठे वचनों को सुना सहा,
नहीं किसी से बैर भाव बस प्रीत प्यार स्नेह रहा।
वरिष्ठ साहित्यकार श्री सतीश श्रीवास्तव द्वारा सरल सहज शब्दों में कविता पाठ किया:-
“जीवन पथ पर अनजाने में
कितने पाप का बोझा ढोया,
गंगा कितना धो पाएगी
जब तक मन का मैल न धोया ।


गीतकार आदरणीय श्री घनश्यामदास योगी जी ने रुधे गले से पहाड़ी जी को याद करते हुए गीत प्रस्तुत किया सुमधुर गीत ने सबका मन मोह लिया।
अमर होते हैं गीत सुजान
प्रेम की सच्ची है पहचान,
आबरू अमर बनाते हैं,
जो भी रचते गीत
सदा पहचाने जाते हैं।


वरिष्ठ साहित्यकार श्री चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव ने प्रेरणा देने वाली रचना सुनाई…
दृढ़ विश्वास नहीं है वा पै,
मन कमजोर डरत है तातै ।
पहाड़ी जी के नाती सक्षम चतुर्वेदी ने सुंदर कविता प्रस्तुत की…
जाने किसका साथ देखता
वो अपना लगता है,
खुली हुई इन आँखों में
वो इक सपना लगता है।
तत्पश्चात डा. ओमप्रकाश दुबे ने अपनी ओजस्वी कविता सुनाई..
यदि तूने अच्छा किया है
अपने मन को मानवीय पथ पर
चला दिया है
फिर तेरे विरोध में
जो हो रहा है होने दे
लेकिन मन को
विचलित न होने दे ।
कहानीकार डा. बृजेश अग्रवाल ने अपनी लघुकथा चोर के माध्यम से समाज की खोखली मान प्रतिष्ठा को उजागर किया तो वहीं पीयूष योगी ने बहुत ही सुंदर कविता पाठ किया..
मन से मन को जीतो जोगी तुम
तन से तन कब कब जीता है ।
प्रसिद्ध गीतकार प्रतीक चौहान ने अपनी कविताओं से सभी का मन मोह लिया..
एक कहानी कितना चाहे
एक कथानक मिल जाए
गीतों को मिल जाये कंठ
नाटक को नायक मिल जाए
इतना सा तो समाधान है
आपस के हर द्वंद कलह का
तुम्हें तुम्हारा हक मिल जाए
हमें हमारा हक़ मिल जाए।
मुख्य अतिथि शिवदयाल यादव भगत जी ने दहेज प्रथा का गीत सुनाकर सभी की आंखों को नम कर दिया..
तेरे सिर से भार की गठरी
दद्दा आज उतार दई,
विनती करत परत रई पंईयां
तौई बैरन नै बार दई ।
इस अवसर पर करैरा के सभी साहित्यकारों ने स्व. प्रफुल्ल कुमार चतुर्वेदी पहाड़ी जी के स्मृति ग्रंथ को प्रकाशित करने का संकल्प लिया ।
विशिष्ट अतिथि समाजसेवी सुरेश बंधु ने सभी साहित्यकारों के संकल्प में अपनी सहभागिता की घोषणा की, जन-पहल न्यूज़ चैनल के संस्थापक नरेंद्र तिवारी ने आयोजित काव्य गोष्ठी में सुनाई गई कविताओं की प्रशंसा की ।
अध्यक्षता कर रहे भोपाल से पधारे बृजेश चतुर्वेदी ने स्व. प्रफुल्ल कुमार चतुर्वेदी पहाड़ी के जीवन के प्रेरक प्रसंग भी सुनाये ।
काव्य गोष्ठी का सफल संचालन प्रमोद गुप्ता भारती ने किया तथा आलोक चतुर्वेदी ने आभार व्यक्त किया।

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