कवियों ने सुनाई मौसम के रचनाए व शिव स्तुति
करैरा। करैरा के साहित्यकार तुलसी जयंती पर ऐतिहासिक स्थल सुरवाया की गढी़ पहुंचे और गढ़ी के अंदर शिव जी के मंदिर पर कविता पाठ किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता भोलेनाथ ने की और मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार घनश्याम योगी रहे ।
गोष्ठी की शुरुआत सौरभ तिवारी द्वारा सरस्वती वंदना के साथ किया।
सरस्वती वंदना के उपरांत प्रसिद्ध गीतकार श्री घनश्याम योगी ने भोलेनाथ को समर्पित रचना सुनाई..
जहर के पिवैया, नाग लिपटैया कहलाते,
डमरू के बजैया, नृत्य ताण्डव करैया हो,
अंग अंग मरघट की भष्म तुम रमाते हो,
काशी कैलाश वासी, जोगी जगैया हो,
जटाजूट वारे, शीष गंगाधर कहलाते,
नीलकंठी कंठ से श्रृंगी बजैया हो ,
पीतवर्णी माथे पै, चंदन की खौर है ,
भोले भी, शोले भी, चंद्रमा धरैया हो।
तत्पश्चात डा. ओमप्रकाश दुबे ने अपनी चिरपरिचित शैली में कविता पाठ किया..
संत का ही वह मन होता है
जो वासना को
उपासना में बदल देता है,
सुभाष पाठक जिया ने शानदार गजल सुनाई तो वहीं साहित्यकार सतीश श्रीवास्तव ने अमेरिका यात्रा के दौरान सृजित कविता सुनाई..
जान लगीं परदेश सबई नें मिल कैं कर दऔ टीका,
अम्मा घूम रहीं अमरीका
सबसें ऊंची दिखें बिल्डिंगें
दिखें न पौर अटारी,
चमचम दिखें बजार में जैसें
घूम रही भुंसारी ।
अम्मा सुनकें दंग रह गयीं
इक डालर अस्सी का,
अम्मा घूम रहीं अमरीका।
साथ ही तुलसी जयंती पर रचना सुनाई..
छोटा भाई भरत सा
बडा़ बने ज्यों राम,
तुलसी ने समझा दिया
अपना अपना काम ।
करैरा को अपने गीतों के माध्यम से ऊंचाई प्रदान करने वाले कवि सौरभ तिवारी सरस ने अपनी कविता सुनाई ..
आज हैं तो हमें प्यार कर लीजिए
कल कहानी के किरदार हो जायेंगे,
तुम किनारे के इस पार रह जाओगे
हम किनारे के उस पार हो जायेंगे।
तत्पश्चात कवि गोष्ठी का संचालन कर रहे प्रमोद गुप्ता भारती ने कविता पाठ किया..
खुद से ज्यादा जो औरों से प्यार करेगा,
मेरा कवि उसका स्वागत सत्कार करेगा।
करैरा के प्रसिद्ध रचनाकार प्रभु दयाल शर्मा राष्ट्रवादी ने शानदार गीत सुनाया..
मन मतंग उत्साह भरा है
पवन चली पुरवाई है,
हर्षित गात झूमते तरुवर
अब पावस ऋतु आई है ।
कवि गोष्ठी का सफल संचालन प्रमोद गुप्ता भारती ने किया तथा आभार सतीश श्रीवास्तव ने किया।