ग्वालियर। अटल बिहारी वाजपेयी – भारतीय सूचना प्रौध्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान ग्वालियर तथा गोट्टिंगेन विश्वविद्यालय जर्मनी के साझा कार्यक्रम के तहत दिनाँक 22 फ़रवरी 2024 को ए. बी. वी. – आई. आई. आई. टी. एम. ग्वालियर संस्थान के एम डी पी सेंटर में दो दिवसीय कार्यशाला “Information-Centric Networks for Resilient Smart Urban Infrastructure 2024 (INSURE 2024)” का शुभारंभ हुआ। इस द्विपक्षीय कार्यशाला का विषय क्षेत्र शहरी साइबर भौतिक प्रणालियों के लिए सतत डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ है। द्विपक्षीय कार्यशाला कार्यशाला इंडो-जर्मन विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र द्वारा फंडेड है।
भविष्य के शहरी साइबर भौतिक सिस्टम (यू-सीपीएस) परस्पर निर्भर सूचना और डेटा संचालित प्रणालियों के एक बहुत ही जटिल सेटअप में विकसित हो रहे हैं जो उपभोक्ता गुमनामी और गतिशीलता सुनिश्चित करने के मामले में यू-सीपीएस बुनियादी ढांचे के लिए कई चुनौतियां पेश करते हैं। जटिल यू-सीपीएस बुनियादी ढांचे के लिए सतत डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर शोध वर्तमान में समय की मांग है। यू-सीपीएस में विभिन्न वर्टिकल के बीच परस्पर क्रिया, उनकी अंतरसंचालनीयता आवश्यकताओं, पहुंच के दायरे और डेटा ऑब्जेक्ट के लिए
प्राधिकरण तंत्र आदि का सटीक ज्ञान होना महत्वपूर्ण है। INSURE-2024 विभिन्न कामकाजी समुदायों को एक-दूसरे की तकनीकी शब्दावली को समझने और उन्हें विषयगत क्षेत्र से जोड़ने पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
कार्यक्रम का संयोजन ए. बी. वी. – आई. आई. आई. टी. एम. ग्वालियर के सूचना प्रौध्योगिकी विभाग के प्रोफेसर के के पटनायाक एवं गोएटिंगेन विश्वविद्यालय जर्मनी के प्रोफेसर ज़ियाओमिंग फू के द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि प्रो. के.के.शुक्ला (निदेशक मैनिट भोपाल) ने इस कार्यक्रम में पधार कर इस कार्यक्रम को गरिमामयी बनाया। प्रो. पटनायक द्वारा सभी का स्वागत व अभिनंदन किया गया।
संस्थान के निदेशक प्रो. एस एन सिंह ने अपने उद्बोधन में बताया गया कि स्मार्ट सिटी के संदर्भ में सरकार के चल रहे प्रयासों के लिए कार्यशाला के वर्तमान विषय की उपयुक्तता कैसे महत्वपूर्ण है। विश्वसनीय, लागत प्रभावी और न्यायसंगत तरीके से नागरिक केंद्रित सेवाएं कैसे प्रदान करें। मुख्य अतिथि प्रो. के.के.शुक्ला (निदेशक मैनिट भोपाल) ने सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए डिजिटल परिदृश्य एवं इंटरनेट ऑफ थिंग्स के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इस कार्यशाला के महत्व को समझाया।
संयोजक प्रो. के के पटनायक के द्वारा इस कार्यशाला के प्रमुख उद्देश्य के बारे में बताया गया कि • भविष्य के वेब ऑफ इंटेलिजेंस और भरोसेमंद ए आई समाधानों के विचार के लिए एक उपयुक्त कंसोर्टिया बनाने के लिए आवश्यक पूरक अनुसंधान दिशाओं और विशेषज्ञता के साथ जर्मन और भारतीय वैज्ञानिक समूहों को एक साथ लाना • बातचीत के दौरान कंसोर्टिया के भीतर सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता है • इस कार्यशाला के अंत में एक शोध ब्लू प्रिंट तैयार करना • आईजीएसटीसी को प्रस्तुत करने के लिए अनुसंधान ब्लूप्रिंट को अनुसंधान प्रस्ताव में अनुवाद करना।
इसके पश्चात कुल चार टेक्निकल सत्र हुए। प्रथम टेक्निकल सत्र में प्रो. थॉमस श्मिट, HAW-हैम्बर्ग की अध्यक्षता में प्रो. श्याओमिंग फू, गोटिंगेन विश्वविध्यालय एवं प्रोफेसर समीर कुलकर्णी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर के द्वारा “सूचना केंद्रित नेटवर्किंग” के बारे में बताया गया। द्वितीय टेक्निकल सत्र में प्रो. श्याओमिंग फू, गोएटिंगेन विश्वविद्यालय जर्मनी की अध्यक्षता में श्री आशीष नानजियानी, राकुटेन इंडिया एंटरप्राइज प्रा. लिमिटेड, बेंगलुरु एवं प्रो. मैथियास वाह्लिस्क, टीयू ड्रेसडेन ने मल्टीमीडिया “नेटवर्किंग और क्लाउड कंप्यूटिंग” के बारे में बताया। तृतीय सत्र में प्रो. कुलाउ उल्फ, टीयू हैम्बर्ग की अध्यक्षता में प्रो. लार्स वुल्फ, टीयू ब्राउनश्वेग प्रो. थॉमस स्प्रिंगर, टीयू ड्रेसडेन के द्वारा “स्मार्ट रेलायबल मोबिलिटी” के बारे में परिचर्चा हुई। अंतिम तकनीकी सत्र के अध्यक्ष: प्रो. जियांग लियू, टीएच वाइल्डौ रहे। इसमें प्रो. एस.के. धुरेंदर, कार्यकारी निदेशक, नाइलिट दिल्ली एवं प्रो. आशीष कुमार सिंह, एम एन एन आई टी इलाहाबाद ने “ससटेनबल ए आई फॉर साइबर फ़िज़िकल सिस्टम्स” विषय पर अपने वक्तव्य दिये।
इस कार्यक्रम में संस्थान के सूचना प्रौध्योगिकी विभाग के डॉ महेंद्र शुक्ला एवं डॉ वीना आनंद ने भी भाग लिया। सभी प्रतिभागियों के द्वारा पैनल डिस्कशन में बढ़ चढ़कर भाग लिया गया एवं सभी ने इस संदर्भ में अपने अपने विचार रखे। विदेश से पधारे सभी अतिथियों का विशेष स्वागत किया गया। कार्यक्रम के प्रथम दिवस के सफल आयोजन पर सभी ने अपना आभार ज्ञपित किया।
इसी तारतम्य में कार्यशाला के दूसरे दिन दिनाँक 23 फ़रवरी 2024 को भी चार तकनीकी सत्र आयोजित किये जाएंगे जिसमें विदेश से पधारे अतिथियों के द्वारा सम्बोधन दिया जाएगा। जर्मनी से पधारे अतिथियों के लिए दो द्विवसीय कार्यशाला पूर्ण होने के पश्चात दिनाँक 24 फ़रवरी को ताज महल आगरा के विज़िट की विशेष व्यवस्था भी की गयी है।