आज शरद पूर्णिमा पर इस बार चंद्रग्रहण का साया रहेगाः पूज्य महाराज धूमेश्वरधाम

0 minutes, 0 seconds Read
0Shares

28 अक्टूबर को श्री धूमेश्वर महादेव मंदिर समेत सभी मंदिरों के कपाट दोपहर बाद बंद हो जाएंगे

29 अक्टूबर को प्रातः आरती के बाद ही मंदिर के कपाट खुलेंगे

करैरा। आज 28 अक्तूवर को शरद की पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का शाया रहेगा।इस लिए आज खीर को चंद्रमा की रोशनी में भी नहीं रखा जा सकेगा साथ ही मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे भगवान के दर्शन 29 अक्तूवर की सुबह आरती के बाद ही हो सकेंगे।धूमेश्वरधाम के पूज्य महाराज श्री ने बताया कि

शनिवार 28 अक्टूबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण पडेगा। उस दिन आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि भी है, जिसे शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। चंद्र ग्रहण भारत में भी रहेगा, जिसके चलते इसका सूतक काल मान्य होगा।

इस कारण 28 अक्टूबर को श्री धूमेश्वर महादेव मंदिर के कपाट दोपहर 3.30 बजे से बंद हो जाएंगे और अगले दिन 29 अक्टूबर को प्रातः आरती के बाद ही भगवान के दर्शन होंगे। शहर के अन्य मंदिरों के कपाट भी शनिवार 28 अक्टूबर को संध्याकाल में बंद रहेंगे। पूज्य महाराज श्री ने बताया कि  चंद्र

ग्रहण भारत में 28 अक्तूबर को रात्रि 01 बजकर 06 मिनट से शुरू होगा रात रात्रि 2 बजकर 22 मिनट तक चलेगा। चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण के 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। ऐसे में शनिवार  28 अक्तूबर को शाम 4 बजकर 44 मिनट से सूतक लग जाएगा जो ग्रहण की समाप्ति तक चलेगा। हिंदू धर्म में आश्विन माह के शुक्ल

पक्ष की पूर्णिमा तिथि का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की पूजा का बहुत महत्व है। शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और घर-घर जाकर यह देखती हैं कि शरद पूर्णिमा पर कौन जाग रहा है। इस कारण से शरद पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।  इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है। रात भर चंद्रमा की रोशनी में रहने से उसमें औषधीय गुण आ

जाते हैं। इस खीर का अगले दिन सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। खीर खाने से कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है, मगर इस बार शरद पूर्णिमा पर ही चंद्रग्रहण पड रहा है। ऐसे में खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखना सही नहीं होगा। पूज्य महाराज श्री ने बताया कि

चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद ही खीर बनान ज्यादा शुभ रहेगा।  मान्यता है कि ग्रहण और सूतक काल के दौरान न तो खाना बनाया जाता है और न ही खाना खाया जाता है क्योंकि ग्रहण के कारण वह दूषित हो जाता है। ग्रहण के दौरान खाने की सभी चीजों में तुलसी के पत्ते डालने से वह दूषित नहीं हो पाता है।

0Shares

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!