सूचना का अधिकार अधिनियम को अधिकारियों ने बनाया मजाक,लोक सूचना अधिकारी जानकारी नही दे रहे,अपीलीय अधिकारी भी नही दे रहे ध्यान

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◆अपील किए निकले दो माह जिला पंचायत सीईओ ने नही की सुनवाई

करैरा। सूचना का अधीकार अधिनियम आम जनता के लिए इस लिए बनाया गया था कि आमजन  जानकारी आसानी से ले सके लेकिन करेरा में अधिकारियों ने सूचना का अधिकार अधिनियम को मजाक बना लाया है आवेदकों को समय सीमा में जानकारी नही दी जा रही है लोकसूचना अधिकारी जानकारी नही दे रहे है तो अपील करने पर अपीलीय अधिकारी भी कोई क़र्रवाई नही कर रहे है।

मामला करैरा का है जहां जनपद शिक्षा केन्द्र में लगातार घोटाले हुए है और जन इनकी जानकारी मांगी जा रही है तो आवेदक को जानकारी न देकर आवेदन निरस्त किया जा रहा है  आरटीआई आवेदक नरेंद्र तिवारी में बताया कि उन्होंने 2 जून को आरटीआई के तरह आवेदन लोक सूचना

अधिकारी जनपद शिक्षा केन्द्र करेरा बीआरसीसी को दिया था जिसमे जनवरी 2021 से मई 2023 तक बीआरसीसी  द्वारा स्कूल निरीक्षण के लिए किए गए टूर प्लान की वास्तविक जानकारी ,निरीक्षण में मिली कमियों व उन पर की गई क़र्रवाई की जानकारी चाही थी लेकिन उक्त

जानकारी न देते हुए लोक सूचना अधिकरी ने आरटीआई आवेदक को  दिनांक 28 जून को जारी पत्र द्वारा सूचना बहज दी कि चाही गई जानकारी स्पष्ट नही व लोकहित में नही इस लिए आवेदन निरस्त किया जाता है।

आवेदक नरेंद्र तिवारी ने इसके बाद निर्धारित शुल्क के साथ प्रथम अपीलीय अधिकारी जिला पंचायत सीईओ को 18 जुलाई को रजिस्टर्ड डाक से अपील भेजी लेकिन अपील भेजने के दो माह व्यतीत हो गए जिला पंचायत सीईओ ने अपील पर कोई क़र्रवाई नही की जबकि आवेदक ने उन्हें वाट्सएप्प पर संदेश भी लिखा लेकिन उन्होंने फिर भी ध्यान नही दिया इससे सहज अंदाज लगाया जा सकता है कि करेरा में अधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत कितने संजीदा है।

इस लिए नही दी जा रही जानकारी

आवेदक नरेंद्र तिवारी का कहना है कि पिछले कुछ सालों में यहाँ जो बीआरसीसी पदस्थ रहे उनका निवास करेरा मुख्यालय पर नही रहा वो अन्यत्र से आना जाना करते रहे ऐसे में बीआरसीसी को सरकारी स्कूलों की मॉनिटरिंग की जो जिम्मेदारी निर्धारित की गई थी वह नही हो सकी जबकि मानीटरिंग के लिए वाहन का उपयोग दर्शाकर राशि खर्च दिखा दी गई यदि जानकारी देते है तो यह घोटाला उजागर होगा इस लिए जानकारी नही दी जा रही है।

आरटीआई कार्यकर्ता नरेन्द्र तिवारी का कहना है कि अब उसके सामने राज्य सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील करने का ही रास्ता है जिसमे वह लोकसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी दोनों को पार्टी बनाएंगे।

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