वेदमंत्रों के साथ नदी तट पर मनाया गया श्रावणी पर्व

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करैरा।रक्षाबंधन के पावन पर्व के अवसर पर विप्रजनों द्वारा आचार्य श्री ब्रह्मदेव द्ववेदी के आचार्यत्व में करैरा के महुअर नदी तट पर वेदमंत्रों के साथ श्रावणी पर्व मनाया गया श्रावणी पर्व रक्षाबंधन का भी पर्व है। आचार्य ब्राह्मïण अपने यजमानों को रक्षा सूत्र बांधते हैं।
आचार्य देव ने बताया कि इस पर्व को मनाने से वातावरण की पवित्रता और देव अनुग्रह प्राप्त होता है। इसमें प्रमुख रूप से दस स्नान क्रमशः भस्म, मिट्टी, गोबर,गोमूत्र,गो-दुग्ध, गो-दधि ,गो-घृत, सर्वोषधि, कुश, मधु, ये दस वस्तुएं होती हैं। ये पदार्थ क्रमश: हाथों पर लेकर बाएं हाथ से कमर से नीचे के अंगों पर और दाएं हाथ से कमर के ऊपर के अंगों पर लेपन किया जाता है।अन्त में शुद्ध जल से स्नान किया जाता है। ये दस स्नान अब तक किए हुए पापों का प्रायश्चित करने तथा बिल्कुल नए जीवन में प्रवेश करने के समान हैं।स्नान के बाद में श्री गिरिराज धरण मन्दिर पर सभी विप्र जनों द्वारा यज्ञ हवन पूजन के उपरांत प्रभु से विश्व शान्ति की प्रार्थना के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

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