वर्षा काल मे रोगों से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी

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शिवपुरी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्षा ऋतु के दौरान होने वाली बीमारियों पर एडवाइजरी जारी करते हुए आम नागरिकों से बचाव के उपायों को अपनाने का आग्रह किया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.पवन जैन ने बताया कि वर्षा ऋतु में मुख्य रूप से दूषित जल के उपयोग के कारण अनेक बीमारियां होती जाती हैं। दूषित जल के सेवन से टाइफाईट, पीलिया, डायरिया, पेचिश एवं हैजा जैसी

बीमारियां के रोगी शिवपुरी जिले में मिलते हैं। इन बीमारियों से बचाव के लिए पेयजल एवं भोजन बनाने के लिये जल के रूप में शुद्ध उबला हुआ जल का उपयोग करें। कुछ भी खाने के पहले व शौच के पश्चात साबुन से अवश्य हाथ धोयें।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.पवन जैन ने कहा कि शुद्ध पेयजल की कमी के कारण देश में जलजनित रोगों से सबसे अधिक यानि लगभग 80 प्रतिशत मौतें होती हैं। बारिश में यह समस्या बढ़ जाती है। पानी और अस्वच्छ आदतों से फैलने वाली बीमारियों में मोटे तौर पर दस्त, कृमि संक्रमण, त्वचा और आंखों के रोग होते हैं। इसके अतिरिक्त वर्षा ऋतु में मच्छरों एवं मक्खियों से फैलने वाले रोग सम्मिलित हैं।


बच्चों में दस्त रोग, हैजा रोग अधिक गंभीर रूप धारण कर सकता है। यह रोग इसलिये भी गंभीर है क्योंकि शरीर में से पानी निकल जाने से बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है।


दस्त रोग की रोकथाम हेतु प्रायः शुद्ध पेयजल एवं शुद्ध भोजन का उपयोग करें। सड़े-गले फल एवं खाद्य पदार्थो का उपयोग न करें। खाना खाने से पहले एवं शौच के बाद साबुन से अवश्य हाथ धोयें। खुले में शौच न करें एवं शौचालय का उपयोग करें। घर के आसपास साफ-सफाई रखें, दस्त लग जाने पर ओ.आर.एस. एवं जिंक सल्फेट गोली का उपयोग चिकित्सक की सलाह अनुसार करें। खाने-पीने की वस्तुओं को ढंककर रखें, मक्खियों से बचाव करें। हरी सब्जी एवं फलों को उपयोग करने के पहले साफ पानी से धोकर ही उपयोग करें।


वर्षा ऋतु में मानसून के दौरान बहुत से लोगों को आंखो के रोग भी हो जाते हैं। आंखों में खुजली एवं आखें लाल हो जाती हैं, आंखे चिपचिपी हो जाती हैं, सफेद और पीले रंग का पदार्थ जमा हो जाता है। इस रोग को आई-फ्लू, कंजक्टिवाईटिस या आखें आना के रूप में जाना जाता है।

कंजेक्टिवाइटिस का संक्रमण आपसी संपर्क के कारण फैलता है। इस रोग का वायरस संक्रमित मरीज के उपयोग की किसी भी वस्तु जैसे, रूमाल, तौलिया, टॉयलेट की टोंटी, दरवाजे का हैंडल, टेलीफोन के रिसीवर से दूसरों तक पहुंचता है। आंखे आने पर बार-बार अपने हाथ एवं चेहरे को ठंडे पानी से धोयें, परिवार के सभी सदस्य अलग-अलग तौलिये एवं रूमाल का उपयोग करें, स्वच्छ पानी का उपयोग करें, बार-बार आंखों को हाथ न लगायें, धूप के चश्मे का प्रयोग करें, चिकित्सक को दिखायें।


सीएमएचओ ने जानकारी ने देते हुए बताया कि मलेरिया, डेंगू रोग भी बरसात के दिनों में फैलता है। जिसमें मरीज को ठण्ड लगकर बुखार आता है। प्रायः खेत, तालाब, गड्डे, खाई, घर के आसपास रखे हुए टूटे-फूटे डब्बे, पुराने टायर, पशु के पानी पीने का हौद इत्यादि में बरसात के दिनो में जल जमा हो जाता है। इस प्रकार के भरे हुए पानी में मच्छर के लार्वा पैदा होते हैं जो बाद में मच्छर बनकर रोग फैलाते हैं। मलेरिया से बचाव हेतु घर के आसपास जल जमा न होने दें, रूके हुए पानी में मिट्टी का तेल या जला हुआ ऑईल डालें।

कूलर, फूलदान, फ्रिज ट्रे आदि को सप्ताह में एक बार अवश्य साफ करें। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। कीटनाशक का छिडकाव करवायें, मलेरिया रोग हो जाने पर खून की जांच अवश्य करायें एवं चिकित्सक की सलाह से पूर्ण उपचार लें।

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