शिवपुरी। जीते जी यदि किसी को मृत बता कर उसके नाम पर राशि निकाल लेने की घटना ने सरकारी सिस्टम में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पर कर दी है। मामला शिवपुरी की जनपद पंचायत का है। यहां के 2 सीईओ, 2 बाबुओं व ऑपरेटर ने अंत्येष्टि व अनुग्रह राशि हड़पने के लिए 26 जिंदा
लोगों को कागजों में मार डाला और 93.56 लाख का गबन कर दिया।
कहीं किसी की पत्नी को जीते जी मरा बता दिया तो किसी के जवान बेटे को मृत बताकर पैसे हजम कर लिए। अब इन सबके सामने खुद को जिंदा साबित करने की चुनौती है।
मामला एक- कलेक्टर बोले- तुम्हारी तो चार साल पहले ही मौत हो चुकी है
सतेंद्र ओझा (42) निवासी दर्रोनी खेत स्थित मकान पर काम करते मिले। वे बोले- कलेक्टर गांव आए थे। मुझे बुलाया और बताया कि तुम्हारी तो 2019 में मौत हो गई है। मैंने कहा कि साहब, मैं तो आपके सामने जिंदा खड़ा हूं। सतेंद्र के माता-पिता भी जिंदा हैं, जिन्हें उसने 15 जून को तीर्थ यात्रा पर भेजा है।
मामला दो- 23 साल के नौजवान को सरपंच ने फोन कर कहा- तुम मर चुके
गिर्राज कुशवाह (23) निवासी ग्राम छार ठर्रा को मृत बताकर पिता पूरन कुशवाह को हितग्राही बनाया है। गिर्राज का कहना है कि मैं भागवत कथा में था, तभी सरपंच का कॉल आया। खुद को मरा बताने पर मैं चौंक गया। मैं ग्रेजुएट हूं। एसएससी की तैयारी कर रहा हूं। मैं डर गया, यदि कागज में मरा दर्ज कर दिया तो नौकरी कैसे लगेगी।
मामला 3- बकरी पाल घर चलाने वाले के खाते से चार लाख रु. निकाले
तीन बच्चों की मां जरीना खान (25) दर्रोनी जिंदा हैं। पति गुड्डा खान बकरी पालकर गुजर-बसर करता है। एसबीआई खाते में 22 अगस्त 2019 को 4 लाख 6 हजार रु. की राशि आई है। गुड्डा ने बताया कि पंचायत सचिव से पत्नी के मरने का पता चला तो बयान दर्ज कराने जनपद कार्यालय पहुंचे।
महिला बाबू आरोपी ऑपरेटर, दो बाबू, दो सीईओ पर केस
जनपद सीईओ राजीव मिश्रा व गगन बाजपेयी के कार्यकाल में यह गबन हुआ है। दोनों के डिजिटल सिग्नेचर (डोंगल) का इस्तेमाल कर राशि निकाली गई। दो महिला बाबू साधना चौहान व लता दुबे, कम्प्यूटर ऑपरेटर शैलेंद्र पाराशर व दोनों सीईओ आरोपी बनाए हैं।
•इनका कहना है
“जिपं सीईओ की जांच रिपोर्ट में 93.56 लाख रु. का फर्जीवाड़ा निकला है। एफआईआर दर्ज करा दी है।”
– रवींद्र कुमार चौधरी, कलेक्टर, शिवपुरी