ओरछा।रामराजा के दरबार ओरछा में होटल मोनार्क रामा हेरिटेज में चल रही भागवत कथा महोत्सव में आचार्य तेहरिया ने कहा की जिस घर में भक्ति का वास होता है वहां भावनाएं निर्मल होती है,कर्म अच्छे होते हैं,उनके घर श्री राम का वास होता है।
भागवत कथा के चतुर्थ सोपान में श्री राम जन्म के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा की कोशल्या भक्ति की प्रतीक,सुमित्रा भाव की प्रतीक और केकयी क्रिया की प्रतीक थी। तीनो माताओं में भक्ति,भाव और अच्छे कर्म का पवित्र संगम होने से दशरथ के घर श्री राम ने जन्म लिया।भगवान श्री राम ने
मर्यादित जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने अपने तपस्वी जीवन में माता पिता की सेवा,गुरुजनों को सम्मान,दिन दुखी की सेवा और धर्म संस्कृति के साथ राष्ट्र सेवा करने की सीख दी।
आज के इस दौर में सद्गुणों पर चलकर कई बाधाओं आपदाओं से बच सकते है।
सीता राम विवाह प्रसंग आचार्य तेहरियाने कहा की सीता त्याग की प्रतिमूर्ति रही।जो कार्य श्री राम नही कर पाते वो माता सीता ने किए ।आज नारी त्याग करना सीख ले तो सारे ग्रह कलेश दूर हो सकते है।