भूखा रहने का नाम नही बल्कि हर बुराई से दूर हर आजा का होता है रोजा -हाफिज नदवी अतीक अहमद

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माहे रमजान के शुरू होते ही मस्जिदो में उमड़ने लगी भीड़
पहले जुमा से शुरु हुआ पहला रोजा
करैरा। मुस्लिम समुदाय का मुबारक महीना माहे रमजान गुरुवार को चांद देखते ही शुरू हो गया है । माहे रमजान एक ऐसा महीना है जिसमे अल्लाह तआला अपने बन्दे की हर इबादत के बदले में 70 गुना दर्जे सबाब देते है । और अपने बन्दे का रिस्क बढा देते है ।

अल्लाह तआला अपने प्यारे नवी की उम्मत पर इतने खुश होते है कि वह शैतान शयातीन को कैद कर देते है । जिससे उसके बन्दे की कोई इबादत खराब न हो सके ।इस महीने के अंदर 30 या 29 रोजे होते है ।रोजा रखने वाले का ताल्लुक सीधा अल्लाह से होता है ।

रोजा का मतलब भूखा रहना नही बल्कि दिनभर की तमाम बुराई, झूठ , चुगली , जिन्हा , लड़ाई , गाली गलौच से दूर रहने पर ही रोजा होगा । यहा तक कि शरीर के हर आजा जैसे आँख ,से गलत देखना , कान का गलत सुनना , हाथ से गलत पकड़ना , पैरो से गलत रास्ते पर चलना , जुबान का गलत बोलने से मना फ़रमाया है इसी का नाम रोजा होता है । ना कि दिनभर भूखा रहकर शाम को अच्छे अच्छे पकवान से रोजा इफ्तार खोलने का नाम रोजा नही है यह बात आज जुमें की नमाज में मोती मस्जिद के पेश इमाम हाफिज नदवी अतीक अहमद ने तालीम के दौरान मौजूद तमाम मुस्लिम समुदाय के लोंगो को बताई और रोजा रखने का तरीका भी बताया ।
यहाँ पर पढ़ी गई पहले रमजान की पहले जुमे की नमाज
माहे रमजान के पहले जुमा की नमाज 1 बजकर 5 मिनिट पर नूरानी मस्जिद में हाफिज शहजाद काजी ने अदा कराई वही जामा मस्जिद में 1 बजकर 30 मिनिट पर पेश इमाम इनामुल्लाह कासमी ने अदा कराई इसके बाद मोती मस्जिद में 1 बजकर 45 मिनिट पर पेश इमाम हाफिज नदवी अतीक अहमद ने अदा कराई इसके अलावा मदीना मस्जिद में हाफिज मुजाहिद अहमद , महबुबी मस्जिद में हाफिज शौएब , ने भी जुमा की नमाज अदा कराई । और करैरा बस्ती के अलावा आसपास के क्षेत्र में आये बिन मानसून के ओलावर्ष्टि पानी से तबाह बर्बाद हुए किसानों पर रहम करने की दुआ की गई व पूरे देश में अमन चैन खुशहाली हो इसके लिए भी लोंगो ने दुआ की ।

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